वो बिराहमण की बेटी
तू इब्न ऐ ज़ाहिद
उन्सियत देखती नहीं धर्म वाइज़
ख़ुशी थी मोहल्ले मैं सब एक थे
हुई उडू जब से उनके दो से एक होने की खबर आई (उडू = दुश्मनी )
ये आगाज़ ऐ मोहब्बत है या दुश्मनी
तुम्हारे जाने से जो बला मोहल्ले मैं आई
दरवाजों पे नश्तर के निशाँ की खबर
आखबारो मैं आज के आई
सन्नाटा परेसे हुए सबा भी खामोश आई
खीच गयी लकीरे भी गलियों के दर्मिया
जबसे उनकी शादी की खबर आई
अब ना खेलते है बच्चे उस गली के और इस गली के
मौला जाने बचपन पे ये कैसी सजा आई |
अलतमश
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