तेरे दिए हुए गुलाब आज भी
किताब मेंरखे मिल जाते है
काश इसी तरह तुझे भी मैं
ऐसे संभाल के रख पाता
अपनी ज़िन्दगी में
आज बारिश ने बहुत कुछ
याद दिला दिया गुज़रा
वक़्त तेरे साथ सावन के महीने का ....
तुम जुल्फों को जब बारिश में
खोलती थी तुम्हारी भीगी
हुई ज़ुल्फे मानो ऐसी
लगती जैसे किसी
पर्वत से बहता झरना हो
तुम्हारी खामदार ज़ुल्फे जिनकी
छाव में ता उम्र ज़िन्दगी
गुज़ार ने को दिल चाहे ...
बारिश की बुँदे तुम्हारे
संगे मर मर से बने
हुस्न को छूती
कुछ यू चमकती
जैसे तुम्हे छूते ही
हीरे में तब्दील हो गयी हो ...
गाल तुम्हारे जैसे
खिले हुए गुलाब की
पंखुरी हो |
बारिश ने तुम्हारी यादों
में भिगा दिया मुझे ...
मोहब्बत के दिनों में
लिखी हुई कुछ पंक्तिया जिनका
अब कोई मोल नहीं है मेरी
किताब में क़ैद थी आज यहाँ लिख दी |
: अलतमश
किताब मेंरखे मिल जाते है
काश इसी तरह तुझे भी मैं
ऐसे संभाल के रख पाता
अपनी ज़िन्दगी में
आज बारिश ने बहुत कुछ
याद दिला दिया गुज़रा
वक़्त तेरे साथ सावन के महीने का ....
तुम जुल्फों को जब बारिश में
खोलती थी तुम्हारी भीगी
हुई ज़ुल्फे मानो ऐसी
लगती जैसे किसी
पर्वत से बहता झरना हो
तुम्हारी खामदार ज़ुल्फे जिनकी
छाव में ता उम्र ज़िन्दगी
गुज़ार ने को दिल चाहे ...
बारिश की बुँदे तुम्हारे
संगे मर मर से बने
हुस्न को छूती
कुछ यू चमकती
जैसे तुम्हे छूते ही
हीरे में तब्दील हो गयी हो ...
गाल तुम्हारे जैसे
खिले हुए गुलाब की
पंखुरी हो |
बारिश ने तुम्हारी यादों
में भिगा दिया मुझे ...
मोहब्बत के दिनों में
लिखी हुई कुछ पंक्तिया जिनका
अब कोई मोल नहीं है मेरी
किताब में क़ैद थी आज यहाँ लिख दी |
: अलतमश
मोहब्बत के दिनों में
ReplyDeleteलिखी हुई कुछ पंक्तिया जिनका
अब कोई मोल नहीं है मेरी
किताब में क़ैद थी आज यहाँ लिख दी |
अच्छी प्रस्तुति अल्तमश....
shukriya sir ..
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